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बिहार में ठंड बनी जान का दुश्मन बांका में शीतलहर से किशोर की मौत, गांव में पसरा मातम

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बिहार में ठंड का सितम लगातार बढ़ता जा रहा है। कड़ाके की सर्दी और घने कोहरे ने आम लोगों की ज़िंदगी को मुश्किल बना दिया है। बीते कुछ दिनों से तापमान में गिरावट और तेज पछुआ हवाओं के चलते हालात इतने बिगड़ गए हैं कि ठंड अब सिर्फ परेशानी नहीं, बल्कि जानलेवा साबित होने लगी है।
इसी बीच बांका जिले से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। शंभूगंज प्रखंड के मेहरपुर हरिजन टोला में शुक्रवार शाम ठंड की चपेट में आकर एक किशोर की मौत हो गई। मृतक की पहचान झखरा पंचायत के मेहरपुर गांव निवासी दिवंगत शेखर दास के 14 वर्षीय बेटे बबुआ दास के रूप में हुई है। इस घटना के बाद पूरे गांव में शोक का माहौल है।
परिजनों के अनुसार, शुक्रवार की शाम बबुआ घर से बाहर टहलने के लिए बहियार की ओर गया था। लौटने के बाद उसने सिर घूमने की शिकायत की और चारपाई पर लेट गया। कुछ ही देर में उसकी हालत बिगड़ने लगी और तेज दर्द के साथ वह आंगन में गिर पड़ा। परिजन कुछ समझ पाते, उससे पहले ही वह बेहोश हो चुका था।
ग्रामीणों की मदद से उसे तुरंत उसकी मां के साथ शंभूगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। यह खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया।
ग्रामीणों ने बताया कि बबुआ तीन भाइयों में सबसे छोटा था। पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी और परिवार बेहद कमजोर आर्थिक हालात से गुजर रहा था। गरीबी के कारण उसकी पढ़ाई भी छूट गई थी। वार्ड सदस्य जीरा देवी, अनुपम दास समेत कई ग्रामीणों ने इस दुखद घटना पर गहरी संवेदना जताई है।
शंभूगंज सीएचसी के प्रभारी चिकित्सक डॉ. अजय शर्मा ने बताया कि किशोर की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी। शुरुआती तौर पर ठंड को ही मौत की वजह माना जा रहा है।
ठंड बढ़ी, इंतज़ाम नदारद
जिले में शीतलहर के कारण सुबह और रात के समय ठिठुरन बढ़ गई है। इसका सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों, बुजुर्गों, गरीब परिवारों और राहगीरों पर पड़ रहा है। बावजूद इसके बस स्टैंड, चौक-चौराहों, अस्पताल परिसरों और सार्वजनिक जगहों पर अलाव की पर्याप्त व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल ठंड के मौसम में प्रशासन की ओर से अलाव जलाने की व्यवस्था की जाती थी, लेकिन इस बार अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। समाजसेवियों ने जिला प्रशासन से जल्द पहल करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर समय रहते इंतज़ाम नहीं हुए, तो ठंड से बीमारियों और मौतों का खतरा और बढ़ सकता है।
यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा कर रही है—क्या हर सर्दी में गरीबों की ज़िंदगी यूं ही ठंड के हवाले होती रहेगी?

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